Detailed Notes on bhairav kavach
Wiki Article
महाकालोऽवतु क्षेत्रं श्रियं मे सर्वतो गिरा
ಪಾಣೀ ಕಪಾಲೀ ಮೇ ಪಾತು ಮುಂಡಮಾಲಾಧರೋ ಹೃದಮ್
शक्तिबीजद्वयं दत्वा कूर्चं स्यात् तदनन्तरम् ॥ १५॥
श्रृंगी सलिलवज्रेषु ज्वरादिव्याधि यह्निषु ।।
कूर्चमेकं समुद्धृत्य महामन्त्रो दशाक्षरः ॥ १६॥
।। इति बटुक भैरव तन्त्रोक्तं भैरवकवचम् ।।
ನಾಗಂ ಘಣ್ಟಾಂ ಕಪಾಲಂ ಕರಸರಸಿರುಹೈರ್ವಿಭ್ರತಂ ಭೀಮದಂಷ್ಟ್ರಂ
भीषणास्यो ममास्यं च शक्तिहस्तो गलं मम
कार्य पर विजय प्राप्त करने के लिए संसार में इससें बड़ा कोई कवच नही है।
हाकिनी पुत्रकः पातु दारास्तु लाकिनी सुतः ॥
ನಮಸ್ತ್ರೈಲೋಕ್ಯನಾಥಾಯ ನಾಥನಾಥಾಯ ವೈ ನಮಃ
आप नोकरी करते हो, व्यापार करते हो या किसी परीक्षा की तैयारी कर रहे हो, आईएस, आईपीएस, सिविल सर्विसेज आदि जैसी परीक्षा की तैयारी कर रहे हो, तो आपको अवश्य ही अपराजिता स्तोत्र और बटुक भैरव स्तोत्र का पाठ करके जाना चाहियें, इसके more info पाठ से समस्त भय दूर होता है, और आपको निश्चित ही पूर्ण सफलता मिलती है।